थंगाशेरी प्वाईंट दीपस्तंभ

Thangasseripoint-Lighthouse

तंगस्सेरी प्वाइंट दीपस्तंभ स्टेशन, एर्नाकुलम-त्रिवेंद्रम रेल मार्ग पर कोल्लम (क्विलोन) रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किमी दूरी पर है। क्विलोन (कोल्लम) बैक वॉटर अंतर्देशीय नौचालन प्रणाली से भी जुड़ा हुआ है। 17वीं सदी में क्विलोन एक अलग रियासत हुआ करती थी। इसके राजा ने 1665 में डचों को क्विलोन में एक किला बनाने के लिए अनुमति और व्यापारिक अधिकार दिए थे। 18वीं शताब्दी में मार्तंड वर्मा ने सभी क्षेत्रीय राजाओं को हरा दिया और पूरे क्षेत्र को त्रावणकोर राज्य में मिला लिया था। त्रावणकोर राज्य ने अंग्रेजों के साथ एक संधि की और 1795 में उनका संरक्षित राज्य बन गया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की टेलिचेरी और अंजेंगो में फैक्ट्रियां और तट के किनारे अन्य प्रतिष्ठान थे। अपने बेड़ों की सहायता हेतु उन्होंने 19वीं शताब्दी के मध्य में इस स्थान पर एक स्तंभ खड़ा किया और उस पर एक तेल का दीपक रखा। वर्तमान तंगस्सेरी पॉइंट दीपस्तंभ टॉवर की स्थापना वर्ष 1902 में की गई थी। इस टावर में ईंटों की चिनाई वाला म्यूरेट है, जिसके अंदर लकड़ी की परत है। ऑप्टिकल उपकरण की आपूर्ति मेसर्स चांस ब्रदर्स, बर्मिंघम द्वारा की गई थी। द्वितीय ऑर्डर ऑप्टिक के अंदर 55 मिमी बर्नर के साथ पीवी लाइट को दिनांक 1 मार्च 1902 को प्रचालित किया गया था। वर्ष 1932 और वर्ष 1940 में कुछ संशोधन किये गये थे। वर्ष 1962 में पीवी लाइट स्रोत को 230V 5 किलोवाट तापदीप्त लैंप के रूप में प्रतिस्‍थापित कर दिया गया था। स्टॉक में लैंप की अनुपलब्धता के कारण वर्ष 1967 में सिस्टम को वापस पीवी के रूप में लौटना पड़ा था । पीवी लाइट स्रोत को 230V 400 W मेटल हैलाइड लैंप से बदल दिया गया, जिसे दिनांक 15 मई 1994 को प्रचालन में लाया गया। यह रिकॉर्ड के लिए है कि 1930 में टावर में कई दरारें विकसित हो गई थीं। इस उद्देश्य के लिए निर्मित विशेष प्रकार की ईंटों के साथ जैकेटिंग चिनाई प्रदान करके टावर को मजबूत करने का कार्य वर्ष 1940 में इंजीनियर-इन-चीफ श्री ए एन सील की देखरेख में संपूर्ण किया गया था।

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