कन्नूर दीपस्तंभ

KANNUR LIGHTHOUSE

कन्‍नूर दीपस्तंभ, कन्नूर शहर की नगरपालिका के सीमा के अवस्थित है। कन्नूर, मैंगलोर-शोरणूर खंड में एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। दीपस्तंभ रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किमी दूर है। कन्नूर 15वीं शताब्दी में मलबार शासक समुरी (ज़मोरिन) के अधीन एक समृद्ध बंदरगाह था। इस बंदरगाह का मद्रास, कोलंबो, तूतीकोरिन, एलेप्पी, मैंगलोर, बॉम्बे और कराची के साथ समुद्री संबंध रहे थे। वास्को डी गामा के नेतृत्व में पुर्तगाली दल सर्वप्रथम वर्ष 1498 में यहां के निकट कापड़ समुद्र तट पर उतरे थे। उन्होंने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में शहर के दक्षिणी छोर पर सेंट एंजेलो किले का निर्माण किया था। दो शताब्दियों के पश्‍चात यह क्षेत्र ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया था। उन्होंने 19वीं सदी में कन्नूर में एक छावनी की स्थापना की थी। यह किला एक प्रमुख भूमि चिन्ह के रूप में कार्य करता था। 1843 में तेल बाती वाले लैंप सहित लालटेन फहराने की परंपरा की प्रणाली की प्रारंभता गई थी। किले की प्राचीर पर 1903 में एक चिनाई वाली चौकी का निर्माण किया गया था और इस चौकी पर चौथे क्रम के डायोप्ट्रीक लेंस के अंदर एक डबल बाती तेल का दीपक और प्रच्छादन की व्यवस्था के साथ लालटेन स्‍थापित की गयी थी। सितंबर से मई तक की अवधि के उचित मौसम के दौरान ही केवल लाइट ही उपलब्ध होती थी। वर्ष 1924 में कुछ सुधार किए गए थे। 1939 में लाइट को किले के उत्तरी गढ़ पर स्थापित 16 मीटर स्टील के ट्रेसल पर स्थानांतरित कर दिया गया था। उपकरण को 1948 में डीए गैस पर कार्यरत 10 सेकंड चरित्र वाली चमकती लाइट में परिवर्तित कर दिया गया था। प्रश्‍नगत लाइट, 1975-76 के दौरान वर्तमान स्थान पर नए दीपस्तंभ टॉवर के निर्माण तक प्रचालित रही थी। मैसर्स जे. स्टोन इंडिया, कलकत्ता द्वारा आपूर्ति किए गए 6V 30W `C' प्रकार के सीलबंद बीम लैंप के साथ PRB-42 उपकरण को इस टावर पर स्थापित किया गया था। दीपस्तंभ को 25 जुलाई 1976 को सेवा में चालू किया गया था। कोचीन में निर्मित 2.4 मीटर व्यास वाले जीआई लालटेन हाउस को स्टेशन पर स्थापित किया गया था और 31 मई 2003 को 'सी' प्रकार के सीलबंद बीम लैंप को 'डी' प्रकार के सीलबंद बीम लैंप से बदल दिया गया था।

Master Ledger of कन्नूर दीपस्तंभ(860.71 KB)कन्नूर दीपस्तंभ